समय हो गया

Saturday, April 26, 2008

खेल से खिलवाड़

मुझे क्रिकेट मे कैरियर बनाना है ।
बस बल्ला ही तो घुमाना है।
राष्ट्रीय खेल न सही पर इसी का ज़माना है ।
कौन सा मुझे ओलमपिक खेलने जाना है ।
वैसे भी हॉकी मे बड़ी मारा मारी है ।
पैसे देकर खेलने की आती बारी है ।
अच्छे खिलाड़ी मुफलिसी मे जीते हैं ।
और जोड़-तोड़ वाले मजे से घी पीते हैं ।
गिल को गिला नहीं खेल कहीं भी जाए ।
ऐसे हालत मे और किया भी क्या जाए ।
कोई ज्योतिकुमारण जब तक इसकी सेवा करेगा।
अपना राष्ट्रीय खेल यूही तिल-तिल मरेगा ।
फिर किसी और पर दोष मढ़ दिया जाएगा ।
कुछ को निकाल कर पल्ला झाड़ लिया जाएगा

1 comment:

him said...

bahut umda sir. hocky ke bare mein bahut kam log sochte hain ....aur ye bhi bahut kam log jante hain ki hamne 1928 se 1960 tak lagatar olampic medals jeete hain.......well done.