समय हो गया

Saturday, May 31, 2008

सेक्स वायरस

तेज़ी से बदलते सामाजिक परिदृश्य मे जिस प्रकार से प्रत्येक वस्तु परिवर्तन शील है उसी प्रकार नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों मे भी परिवर्तन आया है सामाजिक दायरे मे उठने वाले प्रत्येक प्रश्न की प्रासंगिकता पर ही सवाल उठने लगे हैं । गावों और छोटे शहरों की अपेचा बड़े शहरों मे बसने वाला समाज जिसकी जीवनशैली मे गतिशीलता है और जो तथ्यपरक दृष्टिकोण रखते हुए भी उन्मुक्त जीवन जीना चाहता है ,अपना हर लम्हा आनंद से भर देना चाहता है और इन सब मे भी हमारे समाज का युवा कहीं आगे है , पिछले दिनों शादी से पुर्व यौन संबंधों पर कराये गए सर्वेख्चन इस बात की ओर इशारा करते हैं की युवाओं मे सेक्स को लेकर जानकारी और उतेजना की विकास हुआ है , शारीरिक सुख भोगने की लालसा अधिक जागृत हुई है ।
'नेशनल इंस्तितुएत आफ हेल्थ एंड फैमिली वेल्फैयेर ' और राष्ट्रीय स्वस्थ मंत्रालय की रिपोर्ट को माने टू भारतीय yuva ब्रिगेड का १/३ अपनी यौन इक्छाओं की पूर्ति शादी से पूर्व ही कर लेता है ,सर्वेचन इस बात की ओर इशारा करते है की विवाह पूर्व यौन सम्बन्ध और गर्भ निरोधक का इस्तेमाल सबसे अधिक स्कूल और कॉलेज के छात्र \छात्राओं मे युवा ,कामकाजी पुरूष ,महिलाऐं और १५ से २४ साल के उन लोगों मे बढ़ा है जो झोपड़ पट्टी में रहते है और इनमें दिल्ली और लखनु अन्य शहरों से आगे हैं ।
इन अध्यनों से जो तस्वीर उभर कर सामने आती है वह विभिन वर्गों मे भिन्न - भिन्न यौन सम्बन्धों की कहानी कहती है , कट्टर उत्तर भारतीय लोगों मे विवाह पूर्व सम्बन्ध 'जवान कामकाजी लोगों मे ३५ % ,स्कूल के छात्र /छात्राओं मे १७% है , बड़े शहरों मे लखनु ,दिल्ली से भी आगे है ।
३३०० लोगों पर किए गए सर्वेचन मे अधिकता उन लोगों की रही जिन्होंने यौन सुख १६ से १८ साल की उम्र मे प्राप्त कर लिया था । इस अध्यन से शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकला कि प्रथम बार यौन सम्बन्ध बनाने मे लड़कों कि औसत आयु १७.४ साल रही जबकि लड़कियों कि १८.२ साल । लक्चित समूह कि ६०% लोगों ने कहा कि वह सेक्स बहुत कम या कभी -कभी करते हैं इसी समूह के १/३ लोग ऐसे पाये गए जिन्हें असुरचित यौन सम्बन्धों के विषय मे जानकारी नही थी । ३% से ४% लोगों ने कई लोगों से अलग -अलग सम्बन्ध बनाए थे ।
इन अध्यन से कुछ रोचक तथ्य भी सामने आए ,लकचित वर्ग के ३०% लोगों [५४% पुरूष ,२०% महिलाऐं ] ने कहा 'हालांकि उन्होंने कभी विवाह पूर्व यौन सम्बन्ध नही बनाए परन्तु उनके दोस्तों ने बनाए हैं । १८% पुरुषों ने स्वीकार किया कि उन्होंने किसी अनजान से या फिर देह व्यापार करने वाली महिलाओं से सम्बन्ध स्थापित किए केवल ०.२% युवा ऐसे रहे जिन्हें सेक्स करने के बाद गलती का एहसास हुआ ,५% युवाओं ने समलैंगिकता कि बात स्वीकार की ।
लकचित वर्ग के बहुत बड़े समूह ने स्वीकार कि 'लड़के और लड़कियों के एक दूसरे के करीब आने और मेल-जोल ने सेक्स सम्बन्धी विषय की जानकारी को रोचक और व्यापक बना दिया है और आपसी समझ को भी विकसित किया है । दिल्ली जैसे शहर मे महिलाओं के अपेचा पुरूष इस बार मे विश्वास करता है की चूमना ,एक दूसरे को समय देना ,डेट पर जाना युवा लोगों मे आम बार है ।

1 comment:

him said...

jab "froyad" or "neetchey" ka darza patanzali aur yagyavalkya se bada hoga toh aise hi parinam saamne aaenge..............!!

iqbaal yaad aate hain...........

tumhari daastaan bhi na hogi daastano mein !!!

bahut achcha vishleshan .........par ab toh ye bhi dar hai ki ise anyatha na le liya jaye,,,,,,,,,