समय हो गया

Tuesday, April 24, 2012

संक्रमण काल

अन्ना टीम दरअसल संक्रमणकाल से होकर गुज़र रही है . इमानदार अन्ना शुरू में तो एकला चलो तेज़ चलो की नीति पर आगे बढे लेकिन फिर बिन बुलाये लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया . चलो ये भी अछा था लेकिन अब लगता है, एक विकल्प के तौर पर अपने को राजनीति में साबित करने की कांग्रेस के challeng को टीम अन्ना ने seriously ले लिया है . राजनीतिक महत्वाकंक्चा समाजी ज़रूरतों पर हावी हो रही है. अन्ना एक अच्छे और इमानदार समाजसेवी हैं, लेकिन शायद उनमे गांधी जी जैसी नेतृत्व छमता नहीं है. जिस टीम के सदस्य आपस में ही एकजुट न हो वो देश को कैसे एकजुट करेंगे. स्वाधीनता आन्दोलन के समय में भी नरम और गरम दल थे, क्रांतिकारियों के विचार भी अलग अलग होते थे लेकिन उनका मकसद एक था. अँगरेज़ शासन के खिलाफ वो एकजुट थे. इतिहास गवाह है की आपसी मतभेद ने बड़े से बड़े आंदोलनों की नीव को खोखला कर दिया है, लेकिन टीम अन्ना में आपसी मतभेद एक आन्दोलन को खड़ा होने से पहले ही कमज़ोर कर रहा है. खैर..........किसी घटना को समझना जितना आसान है उससे ज्यादा आसान है उसपर टिपड़ी करना.

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