समय हो गया

Tuesday, January 22, 2008

गिरती मानसिकता .

कहते हैं शेअर मार्केट के बाहर लगी बुल की मूर्ती गिरा दी गई होती तो निवेशकों को यह दिन न देखना पड़ता .सैकड़ों अंकों की गिरावट भला किसी ऐसे वैसे के बस की बात है ये काम सिर्फ एक बैल ही कर सकता है ,अगर इस बैल को गिरा दिया गया होता तो शेयर बाज़ार ऊँचाइयों को चूने के साथ साथ छोटे निवेशकों का भी भला कर देता.मे तो कहता हूँ बैल के साथ साथ चौराहों पर लगी नेताओं की मूर्तियों को भी गिरा देना चाहिऐ शायद देश के ग़रीब लोगों का भला हो जाए.

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