समय हो गया

Wednesday, January 9, 2008

पाक हुक्मरानों का शजरा

मोहम्मद अली जिन्ना– पेशे से वकील। 1905 में राजनीति में आए। 1940 में पाकिसतान की मांग की और 1947 में अलग देश बनाने में कामयाब रहे। पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल। धार्मिक आधार पर देश बनाने के बावजूद धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों के समर्थक। आर्थिक एवं सैन्य सहायता के लिए अमेरिका की मुंहजोई। उर्दू को पूरे पाकिसतान की अधिकारिक भाषा बनाने की बात कही जिसके विरोध में पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लाभाषियों का जबर्दस्त आंदोलन। 11 सितंबर 1948 को तपेदिक एवं फेफड़े के कैंसर से मृत्यू। पाकिस्तान द्वारा ‘कायदे आजम’ यानी महान नेता का खिताब।लियाकत अली खां– पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री। जिन्ना के प्रमुख सहयोगी। इनके दौर में धार्मिक अल्पसंख्यकों का मुद्दा गरमाया। भारत के साथ बेहतर संबंध के लिए नेहरू के साथ 1950 में समझौता किया जिसे नेहरू–लियाकत पैक्ट कहा गया। पाकिस्तान की विदेश नीति के पश्चिमीकरण के समर्थक। जनवरी 1951 में अयूब खां को पहला कमांडर इन चीफ बनाया। 16 अक्टूबर 1951 को रावलपिंडी के एक जन समारोह में गोली मार कर हत्या।इस्कंदर अली मिर्जा–6 अक्टूबर 1955 को गवर्नर जनरल बने। पाकिस्तान के गठन के समय रक्षा सचिव थे। इनके शासनकाल में 23 मार्च 1956 को पाकिस्तान का संविधान बना और ये पहले राष्ट्रपति बने। पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र घोषित किया गया। 7 अक्टूबर 1958 को धार्मिक कानून लागू करवाया और कानून प्रशासक के तौर पर अयूब खान को बहाल किया। मात्र 20 दिनों बाद ही अयूब खान ने बगैर किसी खून खराबे के तख्तापलट किया। मोहम्मद अयूब खां– ‘जम्हूरियत बहाल करना हमारा अंतिम मकसद है’, 1958 में तख्तापलट के बाद जनरल अयूब खां की यही टिप्पणी थी। वे सत्ता पलट द्वारा बागडोर संभालने वाले पहले पाकिस्तानी जनरल थे। सोवियत संघ के खिलाफ खुलेआम अमेरिका से हाथ मिलाया। इनके दौर में पाक ने दो सैनिक गठबंधन सैंटो और सीटो की सदस्यता हासिल की। तत्कालीन विदेश मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो से विदेश नीति के संबंध में अनबन। बाद में विपक्ष के दवाब में सरकार की बागडोर कमांडर इन चीफ याह्या खां को सौंपनी पड़ी।याह्या खां– पाकिस्तान के तीसरे राष्ट्रपति। 1970 के अंत में चुनाव का ऐलान किया। चुनाव में शेख मुजीर्बुर रहमान की जीत के बावजूद उन्हें गद्दी नहीं सौंपी। इनके कार्यकाल में पाकिस्तानी सेना के पूर्वी बंगाल रेजीमेंट प्रमुख मेजर जियाउर रहमान ने 27 मार्च 1971 को बांग्लादेश के नाम से नए देश के गठन की घोषणा की। पाकिस्तानी सेना और बांग्लादेश की मुक्तवाहिनी के बीच युद्ध। भारत की मदद से मुक्तवाहिनी की जीत। हार के कारण पाक में खलनायक घोषित हुए। 20 दिसंबर 1971 को जुल्फिकार अली भुट्टो को सत्ता सौंपी।जुल्फिकार अली भुट्टो– पेशे से शिक्षक व वकील रहे। राजनीति में आने के बाद अयूब खां के दौर में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बने। बाद में अयूब के कट्टर आलोचक। अयूब खां से नाता तोड़कर अलग पार्टी बनाई–पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी। इस पार्टी के अभियानों एवं विपक्ष के दवाब में ही अयूब खां को इस्तीफा देना पड़ा। 20 दिसंबर 1971 से 13 अगस्त 1973 तक राष्ट्रपति रहे। पाकिस्तान के बदले स्वरूप में 1973 में फिर चुनाव हुए। इसमें पीपीपी को भारी बहुमत। भुट्टो प्रधानमंत्री बने। पीपीपी द्वारा वोटों की धांधली को लेकर दंगे भड़के। जनरल जिया ने बगावत की और 1977 में तख्तापलट किया। 1979 में अपने एक विरोधी की हत्या के आरोप में फांसी।मोहम्मद जिया उल हक– 5 जुलाई 1977 को मार्शल लॉ प्रशासक के तौर पर सत्ता संभाली। 1978 में खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित किया। पाक शासकों में सबसे अधिक महत्वाकांक्षी। राष्ट्रपति रहते हुए भी सेना की वर्दी नहीं उतारी। अपने तानाशाही रवैये के कारण सबसे बदनाम रहे। शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ के खिलाफ अमेरिका के प्रमुख सहयोगी। अफगानिस्तान में सोवियत दखल के बाद अमेरिका से काफी सैन्य सहायता हासिल की। 1985 में मार्शल लॉ और राजनीतिक पार्टियों पर प्रतिबंध लगाया। 17 अगस्त 1988 को अमेरिकी राजदूत और फौज के आला अफसरों के साथ रहस्यमय वायु दुर्घटना में मारे गए। बेनजीर भुट्टो– 1988 से 1990 और फिर 1993 से 1996 तक पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रहीं। दोनों ही बार भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण पद से हटना पड़ा। जिया के दौर में 5 साल जेल में बिताने पड़े। जिया की मृत्यु के बाद हुए आम चुनावों में बहुमत हासिल कर पहली बार प्रधानमंत्री बनीं थीं। 1999 में पुन: देश छोड़ना पड़ा। आठ साल के निर्वासन के बाद 18 अक्टूबर 2007 को वापस पाकिस्तान आयीं। अमेरिकी नीति के समर्थक होने के कारण कट्टरपंथियों के खास निशाने पर। आने के साथ आत्मघाती हमले का सामना। दूसरे हमले में 27 दिसंबर को रावलपिंडी के लियाकत बाग मे मृत्यु। नवाज शरीफ– भ्रष्टाचार के आरोप में भुट्टो सरकार की बर्खास्तगी के बाद 1 नवंबर 1990 को प्रधानमंत्री बने। इस्लामी शरीयत कानून को लागू करवाया। वित्तीय अनियमितता के आरोप में 18 जुलाई 1993 को इन्हें भी सत्ता से हाथ धोना पड़ा। 1997 के आम चुनाव में इनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग को भारी बहुमत हासिल हुआ। 17 फरवरी 1997 को पुन: प्रधानमंत्री बने। 12 अक्टूबर 1999 को जनरल मुशर्रफ ने तख्तापलट किया। बाद में विमान अपहरण और आतंकवाद के आरोप में उम्र कैद की सजा। फिर माफी मिली और सऊदी अरब निर्वासित किया गया। सात साल बाद सितंबर 2007 को देश लौटे। फिलहाल फरवरी 2008 को होने वाले आम चुनाव की तैयारी में जुटे हैं।परवेज मुशर्रफ– 12 अक्टूबर 1999 को नवाज शरीफ सरकार का तख्तापलट कर सत्ता में आए। राष्ट्रपति बनने वाले चौथे सेना प्रमुख। करगिल घुसपैठ इनके दिमाग की ही उपज। राष्ट्रपति का अपना कार्यकाल बढ़ाने के लिए अप्रैल 2002 में जनमत संग्रह। कार्यकाल बढ़ाने की स्वीकृति किंतु विपक्षी दलों ने धांधली का आरोप लगाया। मार्च 2007 में पद के दुरूपयोग के आरोप में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी को निर्वासित किया। अक्टूबर 2007 में इकतरफा चुनाव में निर्वासित राष्ट्रपति का तमगा। 8 जनवरी 2008 को आम चुनाव की घोषणा की किंतु बेनजीर की हत्या के बाद चुनाव दो महीने टला।

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